तैयारी पूरीः 36वां राष्ट्रीय खेल
The Hinduगुजरात के छह शहरों में 36वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन ने भारत के संगठनात्मक कौशल की नुमाइश पेश की है। ओलंपिक की मेजबानी का इरादा करने वाले देश में सिर्फ तीन महीने की नोटिस पर राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना इसकी प्रशासनिक गति को दिखाता है। फिटनेस की वजह से इस प्रतियोगिता से कई शीर्ष एथलीटों के हटने के बावजूद, राज्य और केंद्र सरकारों ने साथ मिलकर सितारों से भरे इस आयोजन को अंजाम दिया। मीराबाई चानू, लवलीना बोरगोहेन, अचंता शरद कमल, हिमा दास, दुती चंद, अतानु दास और बी साई प्रणीत की हिस्सेदारी ने इसमें चार चांद लगा दिए। एथलेटिक्स के 38 और एक्वेटिक्स के 36 मुकाबलों में कुछ असाधारण प्रदर्शन देखने को मिले। पोल वॉल्ट में रोजी मीना पॉलराज और शिव सुब्रमण्यम, 35 किलोमीटर की रेस वॉक में राम बाबू और भारोत्तोलन में एन अजित और सैम्बो लापुंग ने राष्ट्रीय स्तर पर नए कीर्तिमान स्थापित किए। सेना ने इस बार भी अपना दबदबा कायम रखा और 61 स्वर्ण, 35 रजत और 32 कांस्य पदकों के साथ पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए उसने लगातार चौथी बार प्रतिष्ठित राजा भालेंद्र सिंह कप पर कब्जा जमाया। तालिका में 39 स्वर्ण, 38 रजत और 63 कांस्य के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर रहा। हालांकि देश के सभी राज्यों में उसे पहला स्थान मिला। 13 स्वर्ण, 15 रजत और 21 कांस्य के साथ मेजबान गुजरात ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 12वां स्थान हासिल किया। मुख्य रूप से क्रिकेट के लिए मशहूर गुजरात में इस खेल के आयोजन ने अलग-अलग खेलों के बारे में लोगों को जागरूक किया है। छात्र-छात्राओँ को खेलों के बारे में जानकारी देते हुए खेल स्थलों पर ले जाने के कदम ने उन्हें अलग-अलग विधाओं को समझने और अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को देखने का सुनहरा मौका दिया। तैराक साजन प्रकाश और 14 वर्षीय हाशिका रामचंद्र को सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महिला एथलीट करार दिया गया। साजन ने सात साल पहले अपने गृह राज्य केरल में भी यह सम्मान अपने नाम किया था। कुछ अन्य खिलाड़ियों को भी खूब सराहना मिली। इनमें 10 वर्षीय शौर्यजीत खैरे और मुक्केबाज निखिल दुबे शामिल हैं। खैरे अपने पिता को खोने के बावजूद मल्लखंब स्टार बनकर उभरे, वहीं सड़क दुर्घटना में अपने कोच की दुखद मौत के सदमे से उबरते हुए दुबे मिडिलवेट चैंपियन बने। लॉजिस्टिक को लेकर इस खेल के हिस्से आलोचना भी आई, लेकिन उनमें से ज्यादातर समस्याओं का तत्काल समाधान कर दिया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की मौजदूगी में सूरत में संपन्न हुए रंगारंग समापन समारोह ने भविष्य में ओलंपिक की मेजबानी करने की भारत की क्षमता को मजबूती से सामने रखा। गुजरात में संपन्न हुए राष्ट्रीय खेल ने दिखाया कि कुशल कार्ययोजना के साथ कैसे बुनियादी ढांचे पर खर्च किए बिना एक महा-आयोजन को अंजाम दिया जा सकता है। अब इस आयोजन के 37वें संस्करण के लिए गोवा को कमान सौंप दी गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात के स्तर की सफलता को अगले साल यह छोटा राज्य किस तरह दोहराता है। This editorial has been translated from English, which can be read here.