वर्षों तक अधर में लटके रहने के बाद, भारतीय वैज्ञानिकों और सार्वजनिक निधियों द्वारा आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके विकसित की गई एक किस्म डीएमएच-11, या धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 को लेकर उम्मीद की उमंगें हिलोरे मारने लगीं हैं। शीर्ष नियामक संस्था और पर्यावरण मंत्रालय की एक शाखा, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने पिछले हफ्ते इस किस्म को पर्यावरणीय लिहाज …